पेंटिंग बाय अबू अल हसन
पेंटिंग बाय अबू अल हसन
देखा यह पेड़ हमारे कितना काम आते हैं।
भूख लगी तो फल भी खा लो वरना छाया तो हर समय ही पाते हैं।
सुगंधित पुष्प वाले वृक्ष तो
चहूं और सुगंध और सुंदरता भी फैलाते हैं।
यह पेड़ हमारे जीवन संग है
इनके बिना संभव नहीं जीवन है।
बिन मांगे फल देने वाले,
मां धरती के दूत है यह
अपने बच्चों का पालन करने के लिए,
मां धरती ने भेजे हैं यह।
अपने बच्चों के लिए मां कितने दुख सह जाती है।
धरती का भी चीर के सीना
पेड़ों के रूप में प्रकट हो जाती है।
उसे पता है कहां जरूरत है सेब की और नारियल की कहां ?
अपने बच्चों की बेहतरी की बहुत है उसको परवाह।
प्यारे मानव कुछ तो सोचो,
मां धरती का भी ख्याल करो।
उसने ही तुम सब का पालन किया है
तुम उसके वृक्षों की संभाल करो।
पर्यावरण सुरक्षित हो जाएगा।
धरती का संतुलन संवर जाएगा।
मानव जाति के हैं उपकार बहुत तुम पर,
अब तुम भी तो कुछ काम करो।
वृक्षारोपण बहुत तुम करके अगली पीढ़ी का भी उद्धार करो।