पड़ेगा तुम्हें पछताना
पड़ेगा तुम्हें पछताना
पीठ पर बंधे डंडे से बंधा हुआ है ब्रेड,
उसे देख दौड़ रहा क्यों एब्सेंट माइंडेड।
सामने दिखता नहीं क्या खुला हुआ है डिच?
आगे पैर बढ़ाये तो ऑफ हो जाएगा स्वीच।
खूब लगा लिए तूने खाने के लिए चक्कर,
दिमाग को ठंढा करके सोच ज़रा घनचक्कर।
हाथ तुम्हारे खुले हुए है, पीठ का डंडा खोलो।
उसके बाद ब्रेड को खोलो और उसे खा लो।
आँख मूंद कर कभी भी दौड़ नहीं तुम लगाना।
मुसीबत बढ़ जाएगी, पड़ेगा तुम्हें पछताना।
