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GOPAL RAM DANSENA

Abstract

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GOPAL RAM DANSENA

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पापी पेट के लिए

पापी पेट के लिए

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मैं सोते से जागा

दिनों दिन भागा

कभी रोड पर

कभी नोट धर

भागा हमेशा समस्या निजात डेट के लिए

पेट उतना ख़ाली जितना भागा पापी पेट के लिए।

मेरे इस पेट दौड़ में

शामिल सब इस होड़ में

गरीब से सेठ तक

सीधा से ठेठ तक

कोई स्वदेश में भागा

कोई परदेश में भागा

कोई भोजन कोई बसन कोई निकेत के लिए

करतब दिखाते राह भर नाम पापी पेट के लिए।

कोई कटोरी ले चला डोर पे

कोई कटार ले चला भोर से

तन मन से सजकर चला कोई शान से

कोई कर्म से छला तो कोई ईमान से

किसी का ख्वाब पूरा किसी का आधा रहा

शतरंजी खेल कोई राजा रहा कोई प्यादा रहा

रंग रंग के वेषभूषा रंग रंग के करतब करते

रंग रंग के पेट यहां, जिसे जीवन भर भरते

कोई बदन कोई व्यसन कोई राज अभेद के लिए

जीवन छुटा पेट न छुटा हर पाप पापी पेट के लिए।


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