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पाँच वर्ष की उम्र में

पाँच वर्ष की उम्र में

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पाँच वर्ष की उम्र में 

वो पहली बार स्कूल जाना

जीवन का पहला मित्र

बनाने की प्रक्रिया का शुरु हो जाना

स्कूल की दोस्ती और प्यार

निकाल खाते थे एक दूजे के टिफिन से

रोटी और आम का आचार।


याद है क्या तुझको 

क्लॉस के बेंच पे परकार से 

तेरा मेरा नाम लिख अपना कब्जा जमाना

दोस्त से ज्यादा तू भाई हो गया था

स्कूल क्या छूटा तेरा साथ खो गया था

वर्षों बाद आज सोशल मंच से मिले हैं।


यादों के संदूक मे लगे थे जो ताले

वो आज तेरे मिलने से खुले हैं

बेंच अपना जो था अपना बेंच मार्क था

क्लॉस मे हमसे बड़ा न कोई तिरंदाज था

भाई मेरे तुझको अपने अंग्रेजी के टीचर याद हैं

नाम था जिनका तिवारी 

कोई भूल सकता भला कैसे उनकी मार है।


और भी बहुत कुछ याद आता है

कभी मिल तो सही भाई मेरे

तेरे संग फिर से स्कूल जाने को दिल चाहता है

आजकल तेरे भाई ने नाम रख लिया है अंजान

ये अंजान तेरे साथ बचपन के दिनों मे वापस 

लौट जाना चाहता है।


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