पागलपन.......
पागलपन.......
ये पागलपन वो पागलपन
तन की सोभन
करने को मन
उसे देख के सोचते कई जन
कहीं आज तुझे कुछ और हो न जाये
ये पागलपन वो पागलपन...
कभी तुम गाते
कभी तो झूमते
झूम रहे देखो ये पुरे आँगन
लग रहा कहीं खुशी से जी ना भर जाये
ये पागलपन वो पागलपन....
खुशी या गम हो
या कुछ और हो
देखा नहीं ऐसी भी दीवाना पन
कहीं ये तो मुझे दीवाना ना बना दिए
ये पागलपन वो पागलपन.....
ऐसी ही रहना
हँसते खिलना
कभी खोना नहीं अपनी मुस्कान
कहीं तुम्हे मेरी नजर ना लग जाये
ये पागलपन वो पागलपन.....
धुंद -
ये गुलबदन वो गुलबदन
फूलों की खुसबू
काँटों की चूमान....