Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Lokanath Rath

Romance Classics Inspirational

4  

Lokanath Rath

Romance Classics Inspirational

पागलपन.......

पागलपन.......

1 min
212


ये पागलपन वो पागलपन

तन की सोभन

करने को मन

उसे देख के सोचते कई जन

कहीं आज तुझे कुछ और हो न जाये

ये पागलपन वो पागलपन...


कभी तुम गाते

कभी तो झूमते

झूम रहे देखो ये पुरे आँगन

लग रहा कहीं खुशी से जी ना भर जाये

ये पागलपन वो पागलपन....


खुशी या गम हो

या कुछ और हो

देखा नहीं ऐसी भी दीवाना पन

कहीं ये तो मुझे दीवाना ना बना दिए

ये पागलपन वो पागलपन.....


ऐसी ही रहना

हँसते खिलना

कभी खोना नहीं अपनी मुस्कान

कहीं तुम्हे मेरी नजर ना लग जाये

ये पागलपन वो पागलपन.....


धुंद -

ये गुलबदन वो गुलबदन

फूलों की खुसबू

काँटों की चूमान....


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance