ओज कविता – वीरों की धरती भारत
ओज कविता – वीरों की धरती भारत


वीरों की धरती भारत वीरों से कभी खाली न होगी
राष्ट्र पर प्राण करेंगे न्योछावर जननी सवाली न होगी
भ्रमजाल मायाजाल लोभ लालच मे कभी आएँगे नहीं
डर भय मोह ममता वस रन छोड़ कभी भागेंगे नहीं
जलती रहेगी मसाल देश भक्ति कभी खाली न होगी
तन जाये तोपे मिसाइल बंदुके वीरों डरना आता नहीं
रण ललकारे हिन्द की सेना पीठ दिखाना आता नहीं
राम कि धरती दुश्मन पर हो विजय दीवाली न होगी
कितना गिनाऊ वीरों की गाथा रामायण लिख जाएगी
लक्ष्मी राणा चौहान नाम लिखने कलम घिस जाएगी
अर्जुन भीम भिस्म वीरों धरती कभी खाली न होगी
फड़कती है भुजाए दुशमन की सुनकर ललकार सदा
जवाने हिन्द है शेरे हिन्द करते शेरों की हुंकार सदा
लूटा देंगे जान जमी पर क्यो फिजा मतवाली न होगी
एक दो नहीं सभी लाल करे बलिदान जननी भारत की
बहने भाई नारियाँ सिंदूर करे कुर्बान हो रक्षा भारत की
रक्त रंजीत हो करे सिंगार क्यो धरती लाली न होगी।