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Kavita Sharrma

Abstract

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Kavita Sharrma

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नयी सुबह

नयी सुबह

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अंधकार ने पूछा रात से 

नयी सुबह कब आयेगी

रात बोली इस अंधकार 

की यात्रा पूरी जब होगी 

तब ही रोशनी छा जायेगी 

हर रात की इक नयी 

सुबह होती ही है जरूर

पर संघर्ष अपना जारी 

रखना ही पडता है जरुर 

बिना रुके बिना थके 

करते रहो तुम काम

जीवन से तुम्हारे भी 

इक दिन दूर हो आयेगा

अंधकार का नाम ।


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