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मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

Fantasy

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मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

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नये वर्ष में

नये वर्ष में

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नये वर्ष में 

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नये वर्ष में, नया सूर्य है 

नई भोर में, नई किरण है 

नियति चक्र जो घूम रहा है 

साथ-साथ चले जन्म-मरण है 


प्रकृति बजाये मृदु वीणा तान 

मिले हर जन को उचित सम्मान 

विकास के खुलें नवीन द्वार 

कर्मशील करे सफलता का पान 


सबका श्रम हो जाये सिद्ध 

दृढ मजबूत बने स्वाभिमान 

शोषण मुक्त हो सम्पूर्ण धरा

हर जीवन से मिट जाये क्रंदन 


नये वर्ष में, नया सूर्य है 

नई भोर में, नई किरण है 

नारी देवी की मूरत जग में, 

करें उर से उसका अभिनन्दन है 


देता मानवता का पैगाम ‘ऋषि’

मानव के मन से मिटे द्वेषभाव 

धरती बने अपनी स्वर्ग समान 

दयाधर्म से भरा हो हृदयभाव।


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