नया प्रभात
नया प्रभात
प्रात: नभ में आशा की किरण ने,
ली है फिर अंगड़ाई।
2 जून की नई सुबह से,
हम सब में एक नई स्फूर्ति आई।
चहुँ दिशा में फैले कीर्ति और गुणगान,
भारत की सामासिक संस्कृति की,
हम सब हैं संतान।
एकता, सद्भाव और भ्रातृत्व का,
परचम हम लहराएँँ।
आओ ! हम सब मिलकर संपूर्ण विश्व को,
शांति का पाठ पढ़ाएँँ।
जन-जन की वाणी बनकर हम,
विश्व क्षितिज में छा जाएँ ........
विश्व क्षितिज में छा जाएँ .........