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Dr.Shilpi Srivastava

Abstract

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Dr.Shilpi Srivastava

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नवजीवन

नवजीवन

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बादल सी कालिमा फैली,

विद्युत सा हुआ उजाला,

घनघोर बरस गए सारे आँसू,

नवजीवन फिर लहराया,


थी कठिन घड़ी, थी कठिन परीक्षा,

थी कठिन बहुत हर साँसे,

था समय निरंतर चुभने वाला,

चुभती थी हर बातें,


बातों के इन जंजालों से,

हमने किया किनारा,

घनघोर बरस गए सारे आँसू,

नवजीवन फिर लहराया।


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