नवग्रह, नवरत्न व नवदुर्गा
नवग्रह, नवरत्न व नवदुर्गा
नवअंक बड़ा शुभदायी, महिमा है अपरम्पार।
रहे कृपा मातु दुर्गा की, खुशियों की भरमार।
नवग्रह चाल चलें तो, जीवन - दशा बदलता।
वक्रीय चाल चले तो, नवरत्न करें उपचार।।
प्रथम रूप माता की, शैलपुत्री कहलायी।
मोती धारण करता है, चन्द्रमा दोष जे आयी।
मंगल दोष हो जीवन में, मूंगा शुभ फलदायी।
दूजे ब्रह्मचारिणी माॅं की, भक्ति है सुखदायी।।
शुक्र प्रबल करती माॅं, चन्द्रघंटा रूप तिहारी।
शुक्र रूष्ट हो जाए तो, हीरे ने दशा सुधारी।
सूर्य प्रबल कर देती, कुष्मांडा रूप मनोहर।
माणिक्य रत्न होता है, अद्भुत एक धरोहर।।
रिद्धि सिद्धि देती है, स्कन्द माता नाम पुकारे।
बुद्ध प्रतिकूल हुआ जो, पन्ना ही भाग्य संवारे।
सुन्दर रूप निराला, कात्यायनी को जो ध्याए।
पुखराज पहनता है जो, गुरू प्रबल हो जाए।।
कालरात्रि दुख हर लेती, शनि जो बहुत सताए।
नीलम पहन माॅं-भक्ति से, संकट भी टल जाए।
राहु भाव के दोष कटे, महागौरी की महिमा से।
नहीं कष्ट मिलेगा प्यारे, लहसुनिया धारण से।।
सिद्धिदात्री की कृपा हुई, केतु वैभव देता जाता।
गर केतु कष्ट पहुंचाए, लजावत काम कर जाता।
नव दुर्गा के पूजन से, नवग्रह भी दृष्टि बदलते।
शांति और सुख-वैभव, नवरत्नों से मिल जाता ।।
