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Amit Kumar

Romance

3  

Amit Kumar

Romance

नक़ाब

नक़ाब

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आपके चेहरे पर

यह नक़ाब

कुछ यूँ फबता है

मानो सितारों के साथ

वो चाँद जैसे दमकता है

अपनी ही रौशनी में

तुम गुम हो रहे हो

मानो अंधेरों से

तुम्हारा दिल का रिश्ता है


तुम्हारी शर्म और

एहतराम की यह बातें

दिलजलों की महफ़िल में

दम तोड़ देगी

जिधर भी देखोगे

तुम नज़र उठाकर

निगाहों से बोतल

लब तोड़ देंगे

मेरा तुम्हारा है

किसने बांटा

जो जिसके बनकर

है जग में आता

मिलता है उसको

जग में वही है


आपके चेहरे पर

यह नक़ाब

कुछ यूँ फबता है

मानो सितारों के साथ

वो चाँद जैसे दमकता है

अपनी ही रौशनी में

तुम गुम हो रहे हो

मानो अंधेरों से

तुम्हारा दिल का रिश्ता है


बारिश की बूंदों सा

तुमसे शिकवा

पल में बहुत था

पल में नहीं है

मेरे दिल की

तुम धड़कन बन के देखो

न धड़क उठे दिल

तुम्हारा तो कहना

मेरे जो मुझ में

तुम देखते हो

वो मेरा मुझ में

कुछ अब नहीं है

सभी तुम्हारे

हुस्न के क़ायल

यह पर्दानशीं अंदाज़ तुम्हारे

सुना है उसके

तू हो जाते हो

जो तुम को अपना

लहू मुआफ़ कर दे

जाओ तुम भी क्या

याद करोगे

मुआफ़ है तुम को

लहू हमारा

अब आके बांहों में

मेरी कह दो

जैसे मैं तुम्हारा

वैसे तुम हो मेरे


आपके चेहरे पर

यह नक़ाब

कुछ यूँ फबता है

मानो सितारों के साथ

वो चाँद जैसे दमकता है

अपनी ही रौशनी में

तुम गुम हो रहे हो

मानो अंधेरों से

तुम्हारा दिल का रिश्ता है...



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