नोज रिंग
नोज रिंग
ये डूबता सूरज है या
तुम्हारी नोज़ रिंग ?
लो धूप ने अपनी चादर समेटी
रोशनीयों का साम्राज्य ख़त्म हो चला
सूरज घर को निकल पड़ा,
हौले-हौले
निशीथ सर उठा रहा
दूर क्षितिज के पार
सागर में डूब रहा,
चमकता गुलाबी
रोशनी के गुब्बारे सा
आज मन मचल रहा
एक अनबूझी प्यास को तरसता,
आँखें मूँदे तड़पकर
कि तुम्हारे रुख़सार ने
दस्तक दी
मेरी रुह से झाँकते,
बहुत शिद्दत से
आज याद आयी
तुम्हारी नोज रिंग
बादामी चेहरे पे सजी
इस चमकते सूरज की
रोशनी को देख...।