STORYMIRROR

Dr Manisha Sharma

Inspirational

5.0  

Dr Manisha Sharma

Inspirational

नमन तुझे हे वीर

नमन तुझे हे वीर

1 min
288


सरहदों से लौटकर ये वीर सो रहा है 

कैसे लिपटकर इसके तिरंगा रो रहा है

 ज़िन्दगी का दांव खेला देश के सम्मान को

आज जीत वो गया हार अपनी जान को

गोद सूनी हो गयी माँ का आँचल रिक्त है

मस्तक पिता का है तना आंख किन्तु सिक्त है

चूड़ियों की खनक खो गयी पायल गमगीन है

माँग का सिंदूर भी जैसे याद में तल्लीन है

नमन तुझे हे वीर बटोही तूने जो उपकार किया

नहीं झुकेगा कभी तिरंगा स्वप्न ये साकार किया

      


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational