STORYMIRROR

Harshita Dawar

Romance

3  

Harshita Dawar

Romance

नकाबपोश

नकाबपोश

1 min
215


चुप चुप करवा कर रह जाती थी

उसकी आंखों में ज़िन्दगी नज़र आती थी,

नसों में दौड़ता ख़ून भी उसके होने से 

कुछ ज्यादा ज़ोर से दौड़ जाता था,

आंख मूंदने पर भी नकाब पोश शक्ल 

में भी वहीं नज़र आता था,

नजदीकियां बढ़ाने लगी थी मुझसे बेबाक ज़िन्दगी

मालूम नहीं था एहसास वहीं था वो शख्स नहीं था।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance