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Aman Kumar

Inspirational

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Aman Kumar

Inspirational

नजरों के पार

नजरों के पार

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दूर दूर तक दिख रहा नीला आसमान, 

पास से लगे अकड़ू सिना ताने खड़ा हो आसमान, 


दूर से लगे नरम झुका हुआ विनम्र आसमान

उंचे पर्वत टिलों से मुकफ्फल होता आसमान, 


मसर्रत में है हिम मुकफ्फल में कर आसमान

कदम का रूप धर बैठा धरा पर इंसान, 


ये धरती मेरी हिसार, छत मेरा ये आसमान

खूबसूरत वादियों में बादल को मुसर्रिक कर रहा आसमान, 


नजरों के पार समां तक पहुंचना अर्जा सा प्रतित ना होता, 

हसीन वादियों ने जीवन के कुल्फत भी अर्जा कर दिया


खोया है ये लम्हा आज अज्र मुझे दिजिए, 

मुस्तनद से मुलाकात कर मसर्रत हो रहा आसमान।


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