निस्तेज आशाएं
निस्तेज आशाएं
हम - दोनों ने एक दूजे को हाथ थाम कर वचन दिया
सुख-दुःख, हंसी-ख़ुशी जो भी हो एक दूजे के संग जिया।
मन से मन के भाव जुड़े हैं मन से मन के तार जुड़े
आज बिना संवाद सूत्र के धरती पर हैं मौन पड़े।
अंत समय में सिवा मृत्यु के किसकी और प्रतीक्षा है
साथ साथ ही विदा हों दोनों मन की इतनी ईक्षा है।
अपने ही मरने को हमको आज अकेला छोड़ गए
ख़ून के रिश्ते तोड़ गए हैं सब हमसे मुंह मोड़ गए।
आशाएं निस्तेज हो गई शिथिल पड़ गया है तन मन
प्राण पखेरू उड़ने को है होने को हैं बंद नयन।
जीर्ण-शीर्ण काया है केवल और देह है शक्ति विहीन
प्राण प्रतीक्षारत है कि कब हो जाए ब्रह्माण्ड में लीन।
