STORYMIRROR

संदीप सिंधवाल

Abstract

3  

संदीप सिंधवाल

Abstract

निरंतरता और गहराई

निरंतरता और गहराई

1 min
327

वो खारा पानी ?

लहराता समुद्र गहरा तो

बहुत है विशाल भी

पर मीठा पानी नदी का 


लहराता नहीं है बस बहता है

तो नदी निरंतरता है 

समुद्र गहराई है 

और एक दिन 


निरंतरता को गहराई में

समा जाना है। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract