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कुमार संदीप

Tragedy

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कुमार संदीप

Tragedy

निर्धन

निर्धन

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मेरी फटी जेब बयां करती है

मेरी दशा मेरी आर्थिक स्थिति

ख़ुद से बेखबर हूँ


हाँ, मैं झेलता हूँ,हर दिन

अनगिनत कठिनाईयां,जूझता 

हूँ मुश्किलों से, पल भर का सुकून

भी नहीं है नसीब मुझे


मेरी पीड़ा से किसी को

कोई सरोकार नहीं है

हाँ मैं हर पल जूझता हूँ

मुश्किलों से,आँखों से अश्रु

की नदियाँ बहती है


हाँ, दिन और रात रो रोकर

कटती है,कैसे समझाऊं

ख़ुद के अंतर्मन को कि

मैं मजबूर हूँ, हाँ मैं बेबस हूँ


मैं कोई और नहीं हाँ

मैं निर्धन हूँ

हाँ मैं निर्धन हूँ।


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