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Lakshman Jha

Inspirational

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Lakshman Jha

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“ निंदक नियरे राखिए ......”

“ निंदक नियरे राखिए ......”

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खुलके हमारी खामियों को कोई कहता है !

हमारी गलतियों को कोई सामने लाता है !!

हम बौखला जातें हैं लगता है कोई नया दुश्मन निकल आया है ,

उसकी तस्वीर भी बुरी लगने लगती है !

उससे किनारा हम कर लेते हैं !

नसीहत ,आदर्श और सुझाव बचपन में बच्चे भी मान लेते हैं !

पर बड़े होकर उनके भी पर निकल पड़ते हैं !!

माँ -बाप की भी बातों को बुरा मान लेते हैं !

लेख ,आलेख , व्यंग और कविताओं में हमें सारी बातें मिल जातीं हैं !

पर दुर्भाग्य है हमलोगों का ये बातें सब की सब सर के ऊपर से गुजर जातीं हैं !! 

अपनी प्रतिक्रियाओं के माध्यम से सब कोई ना कोई कहता रहता है !

पर सैकड़ों में एक दो सकारात्मक लोगों के ही पल्ले यह पड़ता है !!

ब्लॉक और डिलीट तो सोशल मीडिया में छा गए हैं !

अब तो अपने बच्चों और सगे -संबंधियों में भी ये रोग लग गए हैं !

!कविताएं कबीर की तो सब दुहराते हैं ---" निंदक नियरे राखिए ...

"पर अपनाने से इसे लोग सदा कतराते हैं !!


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