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Renuka Chugh Middha

Romance

3  

Renuka Chugh Middha

Romance

नींदों के टुकड़े

नींदों के टुकड़े

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जोड़ती हूँ, घटाती हूँ

कुछ नींदों के टुकड़ों को।


रात के प्रहर में रह गये थे मेरे पास

याद उलझी थी किसी की इसमें, 

सपनों के जुगनू भी

गुनगनाऐ थे उस पल।


कुछ रगं जिन्दगी के बेताब हुऐ,

फिर नये रगो में रंगने को , 

ख़्वाबों को फिर से

सुनहरी धूप जगमगा गई।


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