उन नींद के उन्माद क्षणों में ,
जब तुम हौले से आते हो ,
मेरी अंतरात्मा को तब ...
पूरा झकझोर जाते हो |
मैं आँख मींच बहाना करती ,
तुम फिर भी समझ जाते हो ,
धीरे - धीरे मेरे गेसुओं को ,
मेरे चेहरे से हटाते हो |
बेशर्म रात की बेशर्म कहानी ,
फिर कानों में सुनाते हो ,
जब मैं शर्म से चेहरा ढ़कती ,
तब मेरा मखौल उड़ाते हो |
सच कहूँ मुझे उस क्षण में ,
एक अजीब नशा छा जाता है ,
तेरे हर सवाल पर ये दिल ,
पागल सा हो जाता है |
वो नींद के उन्माद क्षण ,
मेरा सब कुछ ले जाते हैं ,
सपनों को जब तुम पूरा करते ,
तब और ज्यादा सपने गहराते हैं ||