निहारूं राह तेरी
निहारूं राह तेरी
मैं पपीहा बन निहारुं राह तेरी
तू स्वाती की बूंद बन बरस जा।
मैं चातक बन निहारुं बस तुझे
तू पूनम का चांद बन निकल आ।
मेरा मन तू बने ,तेरा मन मैं बनूं
ऐसे पूजूं तुझे दिल की धड़कन बनूं।
दिन गुजर ही गया रात गहरी हुई
तुम चले तो गए आंख है भरी हुई।
जो मेरे तेरे बीच है ना पटने वाली खाई
उस खाई को तू लांघ के अब आ जा।

