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Sukhvinder Singh Manseerat

Classics

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Sukhvinder Singh Manseerat

Classics

निगाहों निगाहों में पाया है तुझको

निगाहों निगाहों में पाया है तुझको

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निगाहों निगाहों में पाया है तुझको,

प्यार के समुंद्र में पाया है तुझको।


चांद सितारों में नहीं ढूंढ पाए,

काली बदरिया में पाया है तुझको।


धूप सा खिलता जवानी का यौवन,

खिली दोपहरी में पाया है तुझको।


गुलाबों सा गुलाबी रंग बदन का,

फूलों की बस्ती में पाया है तुझको।


खुश्बू बदन की ठगती है मनसीरत,

इत्र के पोखर में पाया है तुझको।


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