नैनो की भाषा समझो ना
नैनो की भाषा समझो ना
नैनो की भाषा समझो ना ,
इन नैनो ने तुमको चाहा है ,
हर रात तुम्हारे आने का ,
इन में गहरा एक साया है।
तुझे देख तेरे मतवाले हुए ,
ये सारे के सारे तुम्हारे हुए ,
दिन रैन तेरी ही राह तकें ,
तेरे आने पे और दीवाने हुए।
जब नैनो से नैना उलझ गए ,
दिल के सब तार भी बज गए ,
एकटक निहार तब वक्त कटा ,
सपनों के द्वार भी खुल गए।
मूंद पलकों ने तुझे थाम लिया ,
अधरों ने बस तेरा नाम लिया ,
तेरे अधरों के उस चुम्बन से ,
ये खुल के और बिखर गए।
ये आज भी बातें करते हैं ,
ये जब - जब तुझ को तकते हैं ,
तुम दो ना इनका उत्तर फिर ,
तेरे उत्तर से ये पिघल गए।।