नाविक गीत
नाविक गीत
ओ बंधु रे!...ओ बंधु रे!
किस ठौर तेरा….गाँव रे,
किस ठौर तेरा….गाँव रे..!
अनुकंपा बरसाया विधाता,
हो प्रज्वलित नेह अलाव रे,
सुख दुःख आते जाते रहने
मन-भाव धरें...कित पाँव रे,
ओ बंधु रे!...ओ बंधु रे!
किस ठौर तेरा….गाँव रे,
किस ठौर तेरा….गाँव रे..!
तन का भार ना ढोया जाये,
तहाँ मन क्यों खावे ताव रे,
चतुराई वहाँ काम ना आवे,
मिले ना जित कोई भाव रे,
ओ बंधु रे!...ओ बंधु रे!
किस ठौर तेरा….गाँव रे,
किस ठौर तेरा….गाँव रे..!
होड़ मची है क्या पाने की,
घूमे...छल धरे….चाव से,
ले मझधार में वो हिचकोले,
उर में उठे….नित ज्वार रे,
ओ बंधु रे!...ओ बंधु रे!
किस ठौर तेरा….गाँव रे,
किस ठौर तेरा….गाँव रे..!
मन का मैल ना धो वो पाये,
अब वृक्ष तले ना...छाँव रे!
संकट में फिर कौन उबारे,
जब डूब चली इत नाँव रे,
ओ बंधु रे!...ओ बंधु रे!
किस ठौर तेरा….गाँव रे,
किस ठौर तेरा….गाँव रे..!
ख़ाक हुए खुद ही जलकर,
जो चलते...अनोखे दाँव रे,
घाट घाट का नीर सो पीवे,
जाने! पावे कित वो ठाँव रे,
ओ बंधु रे!…ओ बंधु रे!
किस ठौर तेरा….गाँव रे,
किस ठौर तेरा….गाँव रे..!
जीवन भवसागर...सा जानो,
जिसमें चले हम सबकी नैया,
कैसा अहम है..कैसा बंटवारा,
खेवे नाव उत...बैठा खिवैया,
ओ बंधु रे!…ओ बंधु रे!
किस ठौर तेरा….गाँव रे,
किस ठौर तेरा….गाँव रे..!
#चुप्पी