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Neha Dhama

Inspirational

4  

Neha Dhama

Inspirational

नारी

नारी

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336


"नर में आरी जोड़कर बनती हैं नारी"

"होंठो पर हैं बेबसी आँखों में लाचारी "

जन्म होता हैं घर में जब कन्या का

छा जाता हैं चारो तरफ एक मातम सा


घर में कोई पूछता नही ,पड़ी रहती हैं किसी कोने में

नन्ही - मुन्ही गुड़ियां का वक्त ,बीत जाता हैं रोने में

कुछ बड़ी सी हुई तो हाथ में झाड़ू आ जाती हैं …

उसकी दादी उससे चूल्हा ,चौका, बर्तन ,करवाती हैं


अम्मा उसकी चाहती हैं कि वो पढ़ने जायें

पढ़ लिखकर वो भी दुनियां में नाम कमाये

प्यारी सी बच्ची अब थोड़ी सी बड़ी हो गई हैं

उसके घर वालो को उसकी शादी की फ़िक्र हो गई हैं


कच्ची उम्र में शादी करके साजन के घर जाती हैं

नये घर में जा पहली बार थोड़ा-थोड़ा घबराती हैं …

सास उसकी बड़ी चालाकी दिखलाती हैं

पहले दिन तो उसको घर की लक्ष्मी बतलाती हैं

दूजे ही दिन से अपना असली रूप दिखलाती हैं


फूल जैसी बहू को कुल्टा - डायन बतलाती हैं

आये दिन उस पर होते हैं जानें कितने अत्याचार

किसी से कुछ कह नही सकती हैं बिल्कुल लाचार

कुछ दिन बाद उसके घर में खुशियां आने वाली हैं


क्योंकि वो पहली बार माँ बनने वाली हैं

दुर्भाग्य तो देखों जहाँ पूजते हैं नारी को हम

वहाँ पल - पल उस पर होते हैं कितने सितम

कोई दुर्गा कोई अम्बा कोई कहता हैं काली …


कन्या के जन्म पर उसकी माँ को ही देते हैं गाली

दुर्दशा कैसी नारी की ऋषि -मुनियों के इस जगत में

स्वयं उसका पति पिटता हैं उसे नशे की हालत में

बाधा है नारी के उद्धार में रिश्तों की जकड़न


कुछ हो नही सकता स्वयं नारी हैं नारी की दुश्मन

"नर में आरी जोड़कर बनती हैं नारी "

"होंठो पर है बेबसी आँखों में लाचारी "


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