नारी
नारी
जननी हूं, मैं माता हूं।
भारत वैभव की गाथा हूं।
मन से कोमल, संकल्प से दृढ़ हूं।
सशक्त हूं, अबला नहीं, मैं सबला हूं।
जीवन के पथ पर,
वक्त के साथ चलती हूं
आत्म सम्मान की खातिर
जलती हूं, मैं बुझती हूं
व्यर्थ कहते हैं, लोग मुझे
फिर भी अर्थ बनकर चलती हूं
हर क्षेत्र में योगदान देती हूं
फिर भी योग्य हीनता में जीती हूं
अपने ही ग़मों को अश्रुओं में बहाती हूं
अपनों की खुशी के लिए
निरंतर चलती जाती हूं
मैं हारती हूँ, मुस्कुराती हूं
फिर आगे बढ़ती जाती हूं
जीवन संघर्षो से लड़कर भी
हौसला थामे रखती हूं
जननी हूं मैं माता हूं
भारत वैभव कि गाथा हूं।