कृष्ण
कृष्ण
कृष्ण एक तुम ही थे।
जिसने राधा के दर्द को समझा।
राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाये।
पर सीता की पीर को ना समझ पाये।
मीरा की पीर भी किसी ने ना जानी
वह भी तो थी,कृष्ण की दीवानी।
लक्ष्मण को भाया भाई का साथ
ऊर्वशी की तड़प उन्होंने कहाँ जानी।
यदा-यदा ही धर्मस्य का।
जब-जब आव्हान हुआ
द्रोपदी के लिए कृष्ण दौड़े आये।
युधिष्ठिर ये बात कहां जान पाये।
युगों-युगों से नारी अबला ही कहलाई
कोई नही मिला कृष्ण सा मीत, कृष्ण सा भाई।
नारी की भावना जिसने क्षितिज से जानी
युगों-युगों तक कृष्ण की महिमा सबने मानी।
प्रेम त्याग किया कृष्ण ने
राधा, मीरा तभी तो थी
कृष्ण की दीवानी।
कृष्ण से अच्छी जगत की महिमा किसी ने ना जानी
युगों -युगों तक याद रहेगी।
श्री कृष्ण की वाणी।
नारी सम्मान में उनकी गाथा
हम सबने जानी।