प्यारी गौरैया
प्यारी गौरैया
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चितवन महके, महके घर आंगन
जब तुम आती फुदक- फुदक
कर दाना खाती
मीठे-मीठे सुर में गाती
आहट पाते ही उड़ जाती
कलरव की यह मधुर तान तुम
आकर हमको रोज सुनाती
मन को तुम खूब भाती
डाल-डाल झूम-झूम इठलाती
मेरी प्यारी गोरैया तुम
रोज आओ मेरे घर के कोने में तुम
फिर से अपना घर बसाओ
हम सब मिल-जुल कर रह लेंगे
हर दर्द को सह लेंगे
फिर से तुम्हें बचाने को
हम वृक्षों को जल दे देंगे
सुन लो अब तुम बात हमारी
फिर आओ चहको क्यारी- क्यारी
चितवन में तुम लौट आओ
आकर फिर वापस ना जाओ।।
