नारी
नारी
संवेदना में वेदना का अभाव हो।
नारी का इस कदर प्रभाव हो।
सहज विचार हो।
नारी से हर शंका का निदान हो।
पथरीला जब वक्त हो।
आहट की राहत हो।
हर बाधा की बाधा बन
डूबते को तिनके का सहारा हो।
हर सुई का धागा बन ।
भक्ति में शक्ति को समाए हो।।
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नारी नमक-सा एहसास है।
हर बात उसकी खास है।
नारी जब साथ है।
हर रिश्ता बाग-बाग है।
नारी जब समकक्ष है।
हर खुशी प्रत्यक्ष है।
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संभलकर संभाल लेती है।
नारी है हर साथ निभा लेती है।
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जब कमजोर थी ।
गम की परछाई थी।
आज खुशियों की परछाई है।
पाट रही खाई है।
जिंदगी देखो क्या खूब छाई है।
नारी का साथ हो तो,
जिंदगी का रंग बदल जाता है।
हर पल हंसी खुशी गुजर जाता है।
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नारी की तड़प ही
नारी का संसार है।
कह रहे हैं सब लेकिन,
यह तो सोच में विकार है।
नारी का प्रहार लेकिन
सोच पर अभिशाप है।
उसका अटल विश्वास
हमारे लिए पर्याप्त है ।
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दिन प्रतिदिन
कद अपना बढ़ा रही।
जमी धूल हटा रही ।
हर प्रहर प्रबल कर
विश्वास का दीप जला रही।
