STORYMIRROR

Sheetal Raghav

Inspirational

4  

Sheetal Raghav

Inspirational

नारी

नारी

2 mins
270


तू नाजुक कभी कोमल तो कभी कमजोर बनी, 

पर शक्ति रूप है,

तू संस्कारों में ढली,

मरहम बनी तू अपनों के लिए,

दैत्यों के लिए महाकाली बनी ।

तेरे रूप की पराकाष्ठा का क्या कहना,

तू कभी अन्नपूर्णा तो कभी मरियम बनी ।

तू शक्ति ही नहीं ममता का दरिया भी है,

कभी यमुना तो कभी पावन मई गंगा बनी।

प्रेम के रूप में राधा तो,

कभी शक्ति रूप में दुर्गा बनी ।

काली रात्रि तू ममतामई,

घनघोर अंधेरा जब छाया,

बन उजाला संस्कारों का तू

हर बच्चे की मां बनी।

नारी रूप अनेक है पर नाम सिर्फ बस नारी पाया।

जीवन के तेरे रूप अनेक बस पुकारा गया,

तुझे सिर्फ नारी है ।

कभी सहचारी कभी बहन है,

तू कभी सखा तो कभी,

प्रेयसी बनी ।

कभी लुभावनी रंभा, मेनका है तू,

तो कभी माता अनुसुइया बनी।

कभी समर्पण की देवी तू,

कभी रणचंडी और कभी चंडी का रूप है पाया

तुझे पाकर धन्य जगत हुआ।

तूने ही भारत माता का नाम बढ़ाया।

तू सबको जीवन देती है, हर बार मौत भी तुझ से हारी है।

सत्यवान की सावित्री पंचप्राण लाई,

तू यमराज से ।

आज तेरे गुणों का बखान में नहीं कर पाया। 

कितने रूप तेरे है नारी,

वर्णन आज नहीं मैं कर पाया।

जग को जन्म बस तूने दिया, 

तुझसे ही जीवन हम सब ने पाया।

तू धन्य है, हे नारी,

धन्य तेरी यह सोच है।

तेरे समर्पण का मोल भी यह संसार लगाना पाएगा।

तू रुठी तो है नारी,

तो यह जगत जन्म कहां से पाएगा।

प्रारम्भ भी तू ही है,

अंत भी तू,

तू हर नर की शक्ति बनी।

तू ही आदि है अंत तू ही है हर नर कि तू शक्ति बनी

ना हो है,

जगत में तू पावन नारी,

तो नर शक्ति कहां से पाएगा।

शत शत नमन है, नारी रूप

कोटि-कोटि धन्यवाद तुझे

कितने भी हो रूप तेरे

बस नाम तूने "नारी" है पाया।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational