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Divyanshi Triguna

Abstract Romance Fantasy

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Divyanshi Triguna

Abstract Romance Fantasy

नारायण सब समझ रहे हैं

नारायण सब समझ रहे हैं

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उस मन को भला कौन जान सकें, 

जिस मन हर पल नारायण रहें,

उस मन की प्रीति समझें कौन, 

जिस मन की प्रीत श्याम रहें,


भक्ति की शक्ति में हैं मन, 

प्रेम आसक्ति में जीवन,

उस मन रहते श्याम सुमन हैं, 

इस मन रहते नारायण मन,


समझ सका ना कोई मन को, 

जान सका ना अन्तर्मन को,

अन्तर्मन तन श्याम बसें हैं, 

इस मन में हरि नाम बसें हैं,


कोई समझें या ना समझें, 

इस मन के मनन को या

जीवन चिन्तन को,

नारायण सब समझ रहें हैं, 


एसी समझ ना किसी जन को,

इस मन को समझें नारायण हीं, 

श्याम सुमन हीं समझ रहें हैं.......


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