STORYMIRROR

Shyam Kunvar Bharti

Romance

2  

Shyam Kunvar Bharti

Romance

नाम काबिल न हुआ

नाम काबिल न हुआ

1 min
189

झुकी जो नजर असर दिल न हुआ

उठी जो नजर नाम कातिल न हुआ


लहराई जो जुल्फें खुल के कंधों पर

शर्म से घटा बरसे ये काबिल न हुआ


छनकाई है जो तूने छम छम पायल

बचाले डूबते ये दम साहिल न हुआ


काले नयनों न लगाओ काला काजल

हुआ सबब रात, दिन हासिल न हुआ


बैठे हो क्यो तुम हवाओं के खिलाफ

मदहोश तेरी महक होश शामील न हुआ


झरते मोती अनमोल तेरे खिलखिलाने से

रहूँ बेदिल तुमसे हुक्म तेरा तामिल न हुआ



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance