नादान दिल
नादान दिल
नादान दिल बार - बार,
तेरी शरारतों का इम्तिहान ले,
कभी तेरे लबों को चूम,
अपने लबों को नाम दे।
गुस्ताखी माफ की अर्जी लगा,
तेरे धड़कते दिल को थाम ले,
फिर बंद पलकों पर तेरी,
अपनी तड़प की छाँव दे।
तेरी अगन को बुझाने की,
हर कोशिश का पैगाम ले,
फिर रूठने की तेरी अदा को,
कातिल की खता का नाम दे।
तेरे अंदर सुलगती अगन,
चाहे जितना भी मुँह मोड़ ले,
मेरी गर्म बाहों की काशिश को,
तू मन ही मन एक नाम दे।
जब कश्मकश में ये मन मचल,
तेरे ऊपर चढ़ ठंडी साँस ले,
तब आँख से मोती गिरके,
उसे प्यार का एक नाम दें।