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अमित प्रेमशंकर

Abstract

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अमित प्रेमशंकर

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ना मांगा मैं धन दौलत

ना मांगा मैं धन दौलत

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ना मांगा मैं धन दौलत

ना मांगा तुमसे हार सनम

ना मांगा मैं हीरे मोती

ना कोई उपहार सनम।


एक तेरी बोली सुनने को

हरदम मैं बेताब सनम

दिन रात सोते जाग बस

देखूं तेरा ख़्वाब सनम


क्यों गई ना पता मुझे

थी क्या खता तू बता मुझे

होगी कुछ मजबुरी फिर

या नापसंद था बता मुझे


तू अभागीन किस्मत की

या मेरे प्यार की कमी सनम

मेरे हंसते नैनों में

क्यों छोड़ गई तू नमी सनम


एक तेरे जाने से जानम

गया मैं फिर से हार सनम

नाम तेरा लेकर सब मुझको

करते हैं दुत्कार सनम।।

नाम तेरा लेकर सब मुझको

करते हैं दुत्कार सनम....


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