ना जाने क्यों ?
ना जाने क्यों ?
ना जाने क्यों तुझे छूने को जी करता है,
ना जाने क्यों तुझे पाने को जी करता है,
ना जाने क्यों तुझमें खोने को जी करता है
ना जाने क्यों अपना बनाने को जी करता है,
वैसे तो ज़िन्दगी तेरे नाम कर सकता हूँ
पर ना जाने क्यों तेरे साथ, मर जाने को जी करता है,
ना जाने क्यों तुम्हें देखते रहते हैं
ना जाने क्यों, और देखने को जी करता है,
ना जाने क्यों तुझे एक पल भी भूलते नहीं
और ना जाने क्यों हर पल याद करने को जी करता है,
एक मीठा-मीठा नशा देता है तेरा साथ
अब तो ये ज़हर पी जाने को जी करता है,
वैसे तो चल सकते हैं उम्र भर तेरे लिए,
पर ना जाने क्यों अब तुझपे, ठहर जाने को जी करता है।
ना जाने क्यों तेरे साथ, मर जाने को जी करता है ।