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Sumit. Malhotra

Abstract Action

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Sumit. Malhotra

Abstract Action

ना जाने क्यों।

ना जाने क्यों।

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ना जाने क्यों, ससुर नाराज़, 

जब से शादी, बहुत नाराज़। 

पिता समान, सदा ही माना, 

मारते तो भी, बुरा ना माना। 


अमीर बहुत, पैसे से अमीर, 

दयालु तो ये, बिल्कुल नहीं। 

अरेंज मैरिज, की थी हमने, 

लव मैरिज ये, बिल्कुल ना। 


दहेज़ के भी, ख़िलाफ़ था, 

फ़िर भी वो, माने तो नहीं। 

एक मारूति, कार तोहफ़े, 

में ससुर जी, ने तो भी दी। 


मना किया, साफ़ लेने से, 

बोले ससुर, बेटी के लिए। 

बेटी को दी, जब कहा ये, 

तो ख़ामोश, तब हम भी। 


बेटी को ही, धमकी देना, 

दहेज़ प्रथा, केस कराना। 

ससुर बहुत, लालची भी, 

झूठे आरोप, लगवाये थे। 


अब तक ये, करते बहुत, 

जीना हराम, करते बहुत। 

नौकरी कोई, जब करनी, 

जानबूझकर, छुड़वा देते। 


पढ़े लिखे हैं, नौकरी ना, 

क़िस्मत भी, दुश्मन हुई। 

घर का भी, ख़र्चा सारा, 

माता-पिता, चलाते हुए। 


पत्नी साथ, पर मज़बूर, 

पिता बहुत, स्वार्थी हुए। 

गलत काम, करवाते हैं, 

धमकी देते, मज़बूर वो।


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