न हमको भुलाना
न हमको भुलाना
दौड़ता जा रहा था रास्तों पे मगर,
सफर में खूबसूरत सा मोड़ आया,
वक्त का इशारा सुस्ता ले घड़ी भर,
ढूंढ कर कहीं एक ठंडी सी छाया।
लांघ कर दरिया, समंदर दर्रे सभी,
मुश्किल सही पर यहां तक आया,
कोशिश तो है कदम रुकेंगे न मेरे,
आसमां जब तक न मुट्ठी में लाया।
कल की सुबह कुछ नई सी होगी,
फिजाओं का तराना भी खास होगा,
मुसकुराते समां यूँ ही कट जाएगा,
आप से मेहरबां का जो साथ होगा।
हमको है प्यारी महफिल तुम्हारी,
जब भी सजाओ हमको बुलाना,
हम न भूलेंगे रहगुजर आपकी,
हो सके तुम भी न हमको भुलाना।

