STORYMIRROR

Sanjay Aswal

Abstract

4.3  

Sanjay Aswal

Abstract

मुक्त आत्मा

मुक्त आत्मा

1 min
397


वो छोड़ गया 

अपना मृत 

खोखला शरीर,

अपनों के लिए

उनका कर्ज उतार कर,

पर आत्मा 

उसकी आजाद हो गई 

इस बंधन से,

अब उसे 

मोह के भटकन से 

मत रोको

जाने दो,

हासिल करने दो उसे 

अपनी आत्मा की 

अथाह ऊंचाइयां,

एक नए 

लक्ष्य के साथ।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract