मुखोटा
मुखोटा
जो स्वयं के साथ सच्चा नहीं
वह दूसरों के साथ सच्चा कैसे होगा,
साथ चलना है तो चलेंगे ही
पर विश्वास पर दाग लगा ही होगा।
अपनों के साथ छल कपट कर
गर तुम आगे बढ़े भी , तो क्या बढ़े,
मत भूलो, स्वयं तुम्हारा भी
भला नहीं होगा।
मुखोटों में कैद
ज़िंदगी भी क्या जिदगी,
छिपकर नज़रों से अपनी
जीना भी भला, जीना होगा।
जीना है तो जियो शान से
आत्मसम्मान, आत्मगौरव के संग,
विश्वास करो न करो तुम
सारी जमीन, सारा आकाश तुम्हारा होगा।