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Neeraj pal

Abstract

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Neeraj pal

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मुझको भी स्कूल जाना है

मुझको भी स्कूल जाना है

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बेटी कहती अपने पापा से, मुझको भी पड़ने जाना है,

पापा कहते बेटी, तुमको तो मम्मी जैसा बनना है,

घर के सारे काम काज में उनका हाथ बंटाना है।

बेटी कहती है


तब बेटी कहती अपने पापा से भाई को आप पढ़ाते हो,

रोजाना सवेरे साईकल से उसे स्कूल छोड़ने जाते हो,

अब मैं समझी आपको तो मुझे ना पढ़ाने का बहाना है।

बेटी कहती है


पापा तब समझाते बेटी को, महँगाई का अब जमाना है,

खेत -खलिहानों में मजदूरी करके पूरा परिवार चलाना है,

तुमको तो बेटी एक न एक दिन पराये घर को जाना है।

बेटी कहती है


तब बेटी कहती है पापा से, कल घर पर एक मैडम आयी थी,

मेरी उम्र पूंछ कर कहती, तुमको तो अभी पढ़ना है,

पढ़- लिख कर तुमको भी ( मेरी ) जैसा बनना है।

बेटी कहती है


समझाकर, बेटी बोली पापा से, पास में ही तो स्कूल है,

आप को तो बिन खर्चे के मेरा नामांकन कराना है,

बिना खर्चे के किताबें, झोला, जूते और मोजे मिल जाना है।

बेटी कहती है


इतना सुनकर पापा बोले बेटी, तूने मुझे नई दिशा दिखलाई है,

सब कुछ निशुल्क होने पर भी, मुझको इतनी भी अक्ल ना आई है,

कल से बेटी अब तुमको भी अपने भाई के साथ स्कूल जाना है।

बेटी कहती है


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