STORYMIRROR

Anusuya Choudhary

Abstract

4  

Anusuya Choudhary

Abstract

मुझे सोने दो

मुझे सोने दो

2 mins
201

याद ए यार बिन 

इक रात तो बसर होने दे 

ऐ रात की रानी 

मुझे अब सोने दे 


इक उम्र से हूं मुंतज़िर 

इक उम्र से हूं तन्हा 

ग़म ए याद ए यार को 

थोड़ा कम होने दे 

ऐ रात की रानी 

मुझे अब सोने दे 


दरिया है या आंख है 

ये दिल है या समंदर 

भर गए है दिल ओ आंख 

अश्क पीते पीते 

अब इन चश्म ए अफ़्सुर्दा को 

ज़रा चैन से रोने दे 

ऐ रात की रानी 

मुझे अब सोने दे 


गिरफ़्त में हूं सन्नाटों के 

गुम है कुछ इन रातों में 

खोजुं कैसे तेरी परछाई 

इन स्याह अंधेरी रातों में 

रोक ले आज इन रातों को 

ना इनका सहर होने दे 

ऐ रात की रानी 

मुझे अब सोने दे 


थक गईं है आंखें 

माज़ी के तसव्वुर से 

जो गुज़र ना सकी रातें 

उन रातों के तसव्वुर से 

इन अलील आंखों के पर्दों में 

कुछ नए ख्वाब बोने दे 

ऐ रात की रानी 

मुझे अब सोने दे 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract