मुझे छोटा ही रहने दो।
मुझे छोटा ही रहने दो।
पाल पोस कर करा जिन्होंने मुझे बड़ा,
चलना सीखा जिनकी उंगली पकड़,
देखी दुनिया जिनके कांधों पर,
आज हम उनको ही दुख दे रहे,
उनसे ही उनका घर छीन रहे,
उनको छोड़ दिया अकेला,
जिन्होंने हमारी जिंदगी को संवारा,
हमें अपने पैरों पर खड़ा किया,
हमें हमेशा संभाला हमारी गलतियों को सुधारा,
सचमुच हम कब से इतने स्वार्थी हो गये,
कि अपने मातापिता को ही बोझ समझने लगे,
जिन्होंने हमारे सपनों को पूरा किया,
हमें उड़ने के लिए स्वच्छ आकाश दिया,
पंख फैलाने के लिए वो खुला आसमां दिया,
आज हम उनको घर में कैद कर रहे,
कैसे हम इतने स्वार्थी हो गये?
सोचती हूं मैं,
जब देखती उन बच्चों को ऐसा करते हुए,
कि नहीं बनना मुझे इतना बड़ा,
कि अपनों को छोटा समझने लगूं,
नहीं फैलाने मुझे अपने पंख,
जब अपने माता पिता को ही कैद कर दूं,
मुझे वो बेटा या बेटी बनना है,
जो अपने मात पिता की सेवा करें उनका ध्यान रखे,
उनके बुढ़ापे में उनका सहारा बने,
उनको सारी दुनिया दिखाए,
चाहे उसके लिए मुझे छोटा बनकर रहना हो,
क्योंकि जिन्होंने हमें यह खूबसूरत जिंदगी दी,
उनकी खुशियों को छीन अपनी खुशियों में खुश रहूं,
यह मेरे लिए संभव नहीं।