मृत्यु ही सत्य है!
मृत्यु ही सत्य है!
जीवन-मृत्यु की परिभाषा में,
मृत्यु जीवन की आशा है।
तब क्यों घनघोर निराशा है,
मुखमंडल पर दिखे हताशा है।।
मृत्यु सत्य है, मृत्यु अटल है,
मृत्यु साक्ष्य है, मृत्यु लक्ष्य है।
जीवन का अंतिम चरण मृत्यु है,
सत्य यही है मृत्यु अकाट्य है।।
वेदों से विदित, पुराणों में संचित,
तब भी सबने क्यों बचना चाहा?
सच ये हर मनुष्य, जीव-जंतु जानता है,
बच नहीं सकता फिर भी भागता है।।
जगा कौतूहल, भौंचक मन,
कोटि जतन कर संजोए तन।
पाई जोड़ी तिनके जोड़े,
गढ़े आभूषण महल खड़े।।
हर संभव साधन अपनाया,
जीवन को मानो स्वर्ग बनाया।
बन्धु बान्धव, यार मित्र,
अपनेपन का बोध जगाया।।
पर शायद यह भूल गया,
कुछ भी साथ न जायेगा।
केवल अच्छे कर्मों का फल ही,
अंत समय में काम सभी के आयेगा।।
माथे पर ढुलक रहा पसीना,
चित्त में क्यों घबराहट है
चेहरे में झलकते भय से लगता,
आने वाली मृत्यु की आहट है।।
मृत्यु को आनी है तो आएगी,
एक नया जन्म दिखलाएगी।
तज कर संशय छोड़ निराशा,
कर लें कुछ अच्छे की आशा।।