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Anju Singh

Abstract

4.0  

Anju Singh

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मर्द को दर्द नहीं होता

मर्द को दर्द नहीं होता

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यूं कहावतों में टाल देते हैं लोग

कि मर्द को दर्द नहीं होता है 

पर सच तों ये है कि

हर मर्द को भी दर्द होता है

पर प्रकट नहीं वो कर पाता है 


घर दफ्तर की परेशानियों में 

ऐसा उलझा रहता है कि

कुछ चाहतें हुए भी

कोई संकेत नहीं कर पाता है


गौर से देखो एक पिता एक पति को

और कभी भाई बेटों को

हर समय अपना दर्द छुपाता है

कभी न कुछ कह पाता है


औरतों के दुःख दर्द बयां होते

कहानियों और रचनाओं में

मर्दों के दर्द को

कहां कोई लिख पाता है


मां पत्नी के बीच वो पिसता 

कहां कुछ कह पाता है

दोनों को खुश रखकर भी

मसलें सुलझा नहीं पाता है


स्त्रियां रोकर जी हल्का कर लेती

कभी रोकर कभी बोलकर

अपनी बातें प्रकट कर देती

पर मर्द खुलकर कहां रो पाता है


कोई भी दर्द जो हो स्त्रियों पर

इल्ज़ाम सिर्फ मर्दों पर आता है

 भलें ही गल्ती हो एक स्त्री की

पर मर्द बेदर्द कहलाता है


जिम्मेदारियों का जो बोझ है होता

तो दर्द का एहसास दब जाता है

चाह कर भी वह मर्द

कहां कुछ कर पाता है।


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