शक की घास ना मन में आए समेट लो बिखरें रिश्तों को कहीं देर ना हो जाए। शक की घास ना मन में आए समेट लो बिखरें रिश्तों को कहीं देर ना हो जाए।
अपनी हर खुशियां वो मिला देती है रसोई में। अपनी हर खुशियां वो मिला देती है रसोई में।
भीगे हर एक शब्द मगर कोई अर्थ ना बहनें पाए। भीगे हर एक शब्द मगर कोई अर्थ ना बहनें पाए।
इसी में मरतें हैं हम पर जब पूरे होतें हैं खुशियां बरसातें हैं। इसी में मरतें हैं हम पर जब पूरे होतें हैं खुशियां बरसातें हैं।
बेटियों की चहक में उन्नत देश की झलक में। बेटियों की चहक में उन्नत देश की झलक में।
तो दर्द का एहसास दब जाता है चाह कर भी वह मर्द कहां कुछ कर पाता है। तो दर्द का एहसास दब जाता है चाह कर भी वह मर्द कहां कुछ कर पाता है।