आज की सास-बहू
आज की सास-बहू
ना जाने क्यूं सास को
लोग गलत रूप में लेते हैं
माॅं को माॅं समझते हैं
पर सास को दूर धकेलते हैं
आसान नहीं है एक औरत को
एक सास से दोस्त बन जाना
बहू के हिसाब से उसकें
हर रूप में ढल जाना
आसान नहीं है बहू के लिए भी
तुरत नए घर में ढल जाना
मीठे बोल और प्यार से
उसको एहसास दिलाना
दोनों को एक-दूसरे का
साथ व प्यार मिल जाए तो
आसान है दोनों के लिए
मजबूत औरत बन जाना
जरुर होती हैं बेटियाॅं
मॉं के तन का हिस्सा
पर सास-बहू रिश्तें प्रगाढ़ कर
हो जाती मन का हिस्सा
एक-दूसरें से जुड़ जाए तों
कोई नहीं तोड़ पाएगा
इन दोनों के जुड़ाव से
खुशहाल परिवार बन जाएगा
सास बहू के रिश्ते में
सोचो तो है बहुत गहराई
क्योंकि सास भी तो इस घर में
एक दिन बहू बनकर आई
ख्वाब संजोती आंखों में
गाती खुशियों के गीत
लक्ष्मी बन बहू घर आएगी
घर में लहराएगा संगीत
छोटी सोच में ना कैद करें
सास बहू अपने रिश्तें को
मिल जाए गर दोनों
अनमोल बना दें रिश्तें को
दोनों के कुछ सपने हैं
मिल कर कर लो पूरे
एक दूसरे की चुगली कर
ना पीटो हर जगह ढिंढोरे
ना पिलाओ दोनों
एक दूसरे को घूंट कड़वी
मां और सास दोनों हैं
एक ही पदवी
सास-बहू क्यों टकरार
करें बातें अधिकार की
दोनों की आपसी समझ है
सम्मान और प्यार की
ना हो तुलना बेटी बहू की
दोनों ने अपनी जगह पाई है
दोनों ने ही अपनें परिवार की
हर रस्म निभाई है
आज देखों कहां से कहां
बदल गया है जमाना
एक दूसरे के लिए भी
दोनों जरूर बदल जाना
आज नहीं होगी सास बहू
एक दूसरे की दुश्मन
वो तो पढ़ लेगी
एक-दूसरें का मन
आज समय के साथ देखों
बदल गया जमाना
मिलेगी खुशियाॅं ही खुशियाॅं
एक-दूसरें का साथ निभाना
सास बहू अगर करें
एक दूसरे का सम्मान
और लोग भी साथ देंगे
मिल जाएगा समाधान
सास बहू अपने रिश्तें पर
एक ऐसा रंग लगाए
भीगे हर एक शब्द मगर
कोई अर्थ ना बहनें पाए।