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Anuradha Keshavamurthy

Inspirational

4.1  

Anuradha Keshavamurthy

Inspirational

मोक्षप्राप्ति

मोक्षप्राप्ति

1 min
327


       

   एक लाचार रुग्ण अबला नारी,

  आँख बिछाकर निहारी दुःखियारी।

  बेटे के आगमन की आस लगाकर,

  कराहती लेटी थी उन्मीलित होकर।।


  फँसा था पत्नी के मोहजाल में पुत्र।

  वही थी उनके जीवन में सर्वस्व - सर्वत्र।

  न था माँ की ममता का कोई मोल।

  कभी न हुआ उन के लिए वो व्याकुल।


  तड़प रहीं थी बिटिया, माँ की दुर्दशा पर,

  बोल उठी एक दिन अपना संयम खोकर।

  भाई हेतु क्यों रो रही हो माता,

  कभी न अकेले छोड़ेगा तुझे विधाता।


  जीवन भर मैं हूँ न तेरे साथ।

  मातृ ऋण निभाऊँगी अविरत।

  तू ही है मेरे मनोबल, तू ही है सहारा।

  तुझ बिन मेरे जीवन में है सिर्फ अंधियारा।


  दुःख न कर ओ माता मेरी प्यारी।

  जनम जनम पर करूँगी सेवा तेरी।

  भुलाकर सदा भाई का गम,

  मातृ ऋण निभाउँगी हर-दम।

  

  तेरे जीवन समाप्ति पर आएगा भाई जरूर,

  पहुंचाएगा तुझे आग लगा कर मोक्ष द्वार पर।

  मोक्ष प्राप्ति हेतु क्यों बना रही हो जीवन को नरक ?

  जी ले जीवन भरपूर खुशी से सम्यक।


 बेटी का क्या दोष है जग में?

 मन में क्यों है यह धारणा सब में।

 बेटी तो कुल कंटक-कलंकिनी है नहीं।

 देना है दुनियाँ को पैगाम यही।


(बेटे से ही स्वर्ग प्राप्ति मानने वाले माता-पिताओं से प्रेरित)

  


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