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Krishna Bansal

Comedy Inspirational Thriller

4  

Krishna Bansal

Comedy Inspirational Thriller

मोक्षधाम

मोक्षधाम

2 mins
344


अपने द्वार पर 

लाखों लोगों की भीड़ देख 

यमराज बोले 

'भूलोक से इतने प्राणी यहां?

 वो भी बिन बुलाए'।


उन लोगों में से एक लीडर सा

दिखने वाला व्यक्ति बोला: 

'हम कहां आना चाहते थे 

जीने की इच्छा थी हमारी

जिजीविषा बलवान थी हमारी

यह तो कोरोना महामारी ने 

इतने लोगों के प्राण हरे 

और हम यहां आ गए'।

 

'आप लोग आ ही गए हो  

स्वागत है आपका।

लाइन में खड़े हो जाइए।

अभी धर्मराज को सूचना देते हैं 

वे आ जाएंगे और

रजिस्टर देख 

फैसला किया जाएगा 

आपको नर्क में भेजना है 

या स्वर्ग में'।


'अब हम लाइन में 

कदापि खड़े नहीं होंगे 

बहुत हो गया लाइन में खड़े होना

हॉस्पिटल में डॉक्टर के पास लाइन

मेडिसन के लिए लाइन 

ऑक्सीजन के लिए लाइन 

आई सी यू व वेंटिलेटर 

के लिए लाइन

काला बाज़ारी के लिए भी लाइन

मरणोपरांत श्मशान घाट में लाइन'।


फिर लम्बा श्वास लेकर

जल्दी से बोला:

'हमें मोक्षधाम भेज दीजिए'।


'यह असंभव है' 

कर्मों के अनुसार ही फैसला होगा।


दबंग लीडर विनीत भाव से बोला

'अगर विद्धार्थियों को 

बिना परीक्षा अगली क्लास में

प्रमोट किया जा सकता है 

हमें मोक्षधाम 

भेजने में क्या तकलीफ है'। 


'आप का भी तो कसूर है

क्यों नहीं माने नियम

क्यों नहीं बरते एहतियात

मोबाइल की रिंगटोन 

टीवी की एडज़

जहां-तहां लगे पोस्टर

प्राईम मिनिस्टर की 

हाथ जोड़ कर विनती

एक ही गुहार 

दो गज़ की दूरी 

मास्क है ज़रूरी।


कहां नदारद थीं

वह सब हिदायतें 

जब नेता संग कर रहे थे 

बंगाल चुनावों में 

भाड़े के लोगों के साथ रैलियां 


कहां गायब थे 

सब अनुदेश 

जब हरिद्वार कुंभ स्नान 

ज़ोरों पर था।

आप से पूछा जाए 

क्या कुंभ स्नान 

स्वर्ग के द्वार खोले देगा? 


क्या तुम्हारी कोई जिम्मेदारी नहीं थी? 

जब बेमतलब घूमते थे

बिना मास्क के 

दो गज़ की दूरी रखे बिना।

 

क्या होली का

ज़रूरी था त्योहार मनाना?

जिंदगी प्यारी है या 

मौत को गले लगाना।'


'हम जानते हैं

इंसान अपने ही जाल में 

फंस गया है 

पर अब हम प्रतीक्षा नहीं करेंगें

न ही लाइन में खड़े होंगें

हम सबको मोक्ष चाहिए 

हमें सबको मोक्षधाम दीजिए'।


'असंभव' यमराज बोले। 

'हम सब यहीँ धरना देंगे

आंदोलन करेगें

तहस नहस कर देंगे

मांगें मनवाना हमें आता है'।


यमराज ने बहुत सोचा।

वे जानते हैं

आदमी नामक जीव 

बहुत फितरती है।


कई मीटिंगज़ उपरान्त

एक कूटनीतिक समाधान 

निकाला गया।

 

'कुछ दिन आप यहीं रहो 

आपके रहने, खाने-पीने की

व्यवस्था यहीं हो जाएगी।

आपके कर्मों का 

हिसाब किताब 

तुरन्त नहीं करते। 


सच्चाई यह है

मोक्ष तो मिल नहीं सकता 

स्वर्ग, नरक भी रहने देते हैं।

कुछ दिनों में जब आपका 

अगला जन्म होगा 

पुराने कर्मों का 

हिसाब किताब तभी कर लेंगे।


दो घंटे उपरान्त

घोषणा हुई

कल से आपके नये जन्म के लिए

रजिस्ट्रेशन शुरु हो जाएगा।

'पहले आयो पहले पायो' के 

आधार पर।

 

लाइन में लग जाएं। 

भीड़ भी प्रसन्न।

यमराज भी प्रसन्न। 


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